महाराष्ट्र में लाडकी बहिन योजना के कारण किसानों के हितों पर असर पड़ने की चिंता बढ़ रही है। राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने खुलासा किया कि इस योजना से राज्य के वित्तीय संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिसके चलते कृषि ऋण माफी योजना के लिए फंड की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है।
लाडकी बहिन योजना: आर्थिक दबाव और चुनौतियां
अगस्त 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार द्वारा शुरू की गई लाडकी बहिन योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना था, लेकिन इसका वार्षिक खर्च करीब ₹46,000 करोड़ तक पहुंच रहा है।
कृषि मंत्री ने रविवार को पुणे में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “लाडकी बहिन योजना के कारण राज्य की अधिशेष धनराशि पर असर पड़ा है। यह अधिशेष धन, जो पहले कृषि ऋण माफी के लिए इस्तेमाल होता था, अब कम हो गया है।”
किसानों की ऋण माफी योजना प्रभावित
मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय स्थिति की समीक्षा कर रही है। उन्होंने बताया, “जैसे ही राज्य की आय में सुधार होगा, हम अगले चार से छह महीनों में कृषि ऋण माफी योजना पर ठोस कदम उठाएंगे। फिलहाल इसका अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री लेंगे।”
फर्जी लाभार्थियों की पहचान और कार्रवाई
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने हाल ही में कहा कि लाडकी बहिन योजना के तहत फर्जी लाभार्थियों के मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार ने इनकी जांच के लिए आयकर और परिवहन विभागों से मदद मांगी है। मंत्री ने स्पष्ट किया, “हम केवल फर्जी लाभार्थियों पर कार्रवाई करेंगे, ताकि योजना का सही लाभ जरूरतमंदों को मिल सके।”
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की योजना
लाडकी बहिन योजना को नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन की जीत का बड़ा कारण माना जाता है। हालांकि, अब इस योजना के कारण वित्तीय दबाव बढ़ने से अन्य योजनाओं पर असर पड़ रहा है।
राज्य सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह महिलाओं के सशक्तिकरण और किसानों के हितों के बीच संतुलन कैसे बनाए। आने वाले महीनों में राज्य की आय में बढ़ोतरी और वित्तीय स्थिति में सुधार के साथ ही इस मुद्दे का समाधान होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
लाडकी बहिन योजना के फायदे और चुनौतियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। सरकार को चाहिए कि वह फर्जी लाभार्थियों की पहचान कर वास्तविक जरूरतमंदों तक योजना का लाभ पहुंचाए। साथ ही किसानों के लिए जरूरी योजनाओं को प्राथमिकता देकर वित्तीय संतुलन बनाए।